Contact: +91-9711224068
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal
International Journal of Humanities and Arts

Vol. 2, Issue 1, Part A (2020)

प्रगतिशील हिंदी कविता और त्रिलोचन का काव्य-संसार

Author(s):

डाॅ॰ बिजेन्द्र विश्वकर्मा

Abstract:

आधुनिक हिन्दी काव्य धारा की प्रगतिवादी प्रवृत्ति का उद्देश्य सामाजिक-राजनीतिक क्रांति है। प्रगतिवादी काव्यधारा, पूँजीवादी प्रवृत्ति एवं व्यवस्था की विरोधी है। प्रगतिवाद संपूर्ण विश्व की गतिशीलता, विकास और परिवर्तन का अध्ययन करता है माक्र्स भी द्वन्द्व से विश्व का विकास मानते हैं, उत्पत्ति नहीं। उनकी भौतिकवादी परंपरा धर्मप्राण भारत देश में अधिक पनप नहीं सकी फिर भी उसका प्रभाव कम नहीं रहा है। प्रगतिवाद उन समस्त यथार्थवादी रचनाओं के लिए भी प्रयुक्त हुआ जो किसी विशिष्ट सुधारात्मक दृष्टिकोण अथवा राष्ट्रीय प्रभाव से प्रेरित होकर लिखी गयी हैं। प्रगतिवाद के लिए यथार्थ ही सब कुछ है और वह उसी की अभिव्यक्ति करता है। समाज के कुत्सित रूप को भी प्रदर्शित करने से उसे संकोच नहीं है। वह मात्र सुधार नहीं, परिवर्तन चाहता है। कविता में प्रगतिवादी काव्य का प्रकाशन आदर्शवादी दर्शन के विरोध में हुआ। प्रगतिवाद ने यथार्थ को मान्यता दी है। वह यथार्थ का समाजपरक रूप है। ‘‘प्रगतिवादी कवि के स्वर में सत्य है, प्रेम है तो घृणा भी है। आज सत्य से तात्पर्य है भौतिक वास्तविकता, शिव का अर्थ है सामाजिक व्यवस्था में सहायक होने वाला और सुन्दरम् का आशय है स्वाभाविक एवं प्रकृत।’’ मानव जीवन में उपयोगिता का महत्व है इसे स्वीकारते हुए ऐसे ही साहित्य को सच्चा और वास्तविक साहित्य माना जाता है जो जन-जीवन को प्रगति पथ पर सफलता से अग्रसर करता है। ‘प्रगतिशील का अर्थ ‘विकासशील प्रवृत्ति’ के द्योतक रूप में तथा ‘प्रगतिवादी’ शब्द ‘माक्र्सवादी विचारधारा’ में सम्बद्ध साहित्य के लिए है। प्रगतिशील काव्य कुछ के लिए नहीं, बहुतों के लिए अर्थात् जन-साधारण के लिए लिखा गया है। इसलिए प्रगतिशील कवियों ने नीचे धरती पर उतरकर धरती के गीत गाये हैं।

Pages: 43-45  |  75 Views  26 Downloads


International Journal of Humanities and Arts
How to cite this article:
डाॅ॰ बिजेन्द्र विश्वकर्मा. प्रगतिशील हिंदी कविता और त्रिलोचन का काव्य-संसार. Int. J. Humanit. Arts 2020;2(1):43-45. DOI: 10.33545/26647699.2020.v2.i1a.100
Journals List Click Here Other Journals Other Journals