डॉ. राजीव कुमार साह
आदिवासी समाज में महिलाओं की स्थिति और भूमिका समाज के अन्य हिस्सों से भिन्न होती है, जहां पारंपरिक रूप से उनका स्थान अक्सर सीमित होता है। फिर भी, पिछले कुछ दशकों में आदिवासी महिलाओं ने अपनी नेतृत्व क्षमता को साबित किया है। उनके नेतृत्व का विकास सिर्फ पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर नहीं, बल्कि राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी हुआ है। आदिवासी महिलाओं के लिए शिक्षा, आत्मनिर्भरता, और सामाजिक अधिकारों के प्रति जागरूकता उनकी निर्णय क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हुए हैं। कई गैर-सरकारी संगठन और सरकारें महिलाओं के लिएविशेष योजनाएं चला रही हैं, जिनके माध्यम से उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया जा रहा है। आदिवासी समुदायों में महिलाओं ने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, ग्रामीण विकास, और स्थानीय प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व का एक उदाहरण जल, जंगल, और ज़मीन के अधिकारों की रक्षा करने वाले आंदोलनों में देखा जा सकता है। अंततः, आदिवासी महिलाओं के नेतृत्व और निर्णय क्षमता के विकास से न केवल उनके समुदाय की स्थिति सुधरी है, बल्कि समग्र समाज में भी सकारात्मक बदलाव आया है।
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