डाॅ. रवीन्द्र कुमार सिंह
पुरुष प्रधान भारतीय समाज में उपेक्षित नारी का स्वाभाविक रूप ग्रामीण समाज में मिलता है। शिवप्रसाद सिंह की अधिकांश कहानियाँ ग्रामीण समाज को चित्रित करती हैं। शायद यही कारण है कि वे प्रेमचंद की परंपरा से जुड़ते हैं। भारत का ग्रामीण समाज प्रगतिशील एवं आधुनिक विचारधारा से जुड़ने में संकोची रहा है। ऐसी परिस्थिति में शोषण एवं उत्पीड़न का जो मायावी खेल गाँवों में होता रहा है उसे शिवप्रसाद सिंह ने बखूबी अनुभव किया है। संभ्रांत एवं सामंती परिवार से होते हुए भी उन्होंने उस जड़ व्यवस्था की क्रूरता को उधेड़ने की कोशिश की है उनका कहना था -
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