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International Journal of Humanities and Arts
Peer Reviewed Journal

Vol. 7, Issue 1, Part B (2025)

काशी के घाटों का समाजशास्त्र

Author(s):

धीरज प्रताप मित्र, विशाल प्रताप मित्र

Abstract:

काशी के घाट भारतीय समाज की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं सामाजिक संरचना का एक अभिन्न हिस्सा हैं। ये घाट न केवल धार्मिक अनुष्ठानों तथा आध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र रहे हैं अपितु सामाजिक वर्गीकरण, पेशागत संरचना, जातिगत गतिशीलता एवं जेंडर असमानता के अध्ययन हेतु भी महत्वपूर्ण हैं। प्रस्तुत शोध आलेख में काशी के घाटों के ऐतिहासिक विकास, उनके सामाजिक-आर्थिक पहलुओं तथा आधुनिकता के प्रभावों का समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से विश्लेषण का प्रयत्न किया गया है। घाटों का वर्गीकरण धार्मिक, श्मशान, राजकीय तथा व्यवसायिक घाटों में किया गया है,जो समाज के विभिन्न वर्गों की उपस्थिति एवं उनकी भूमिकाओं को दर्शाता है। इस आलेख में जाति एवं पेशागत संरचना के अंतर्संबंधों को स्पष्ट करने का प्रयत्न किया गया है, जहाँ पंडे, नाविक, संगीतकार तथा साधु-संत घाटों की पारंपरिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं। इस सबके अतिरिक्त घाटों पर महिलाओं, किन्नर समुदाय के साथ ही अन्य हाशिए के समूहों की स्थिति पर भी विचार किया गया है। वर्तमान में आधुनिकता, शहरीकरण, पर्यटन आदि के प्रभाव से घाटों की पारंपरिक संरचना में बदलाव देखा गया है, जिससे उनका सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक महत्व बढ़ गया है। घाटों के संरक्षण, गंगा प्रदूषण, अतिक्रमण तथा व्यवसायीकरण जैसी समस्याएँ चिंता का विषय हैं। प्रस्तुत शोध आलेख घाटों के भविष्य, उनकी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण तथा सामाजिक परिवर्तनों के प्रभावों को समझने हेतु एक व्यापक परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है।

Pages: 105-110  |  102 Views  34 Downloads


International Journal of Humanities and Arts
How to cite this article:
धीरज प्रताप मित्र, विशाल प्रताप मित्र. काशी के घाटों का समाजशास्त्र. Int. J. Humanit. Arts 2025;7(1):105-110. DOI: 10.33545/26647699.2025.v7.i1b.127
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