प्रभात वर्मा, डॉ रश्मि शर्मा
भारत में कई स्थान हैं जहां मूर्तिकला का कार्य बहुत ही उन्नत किस्म का हुआ है। मथुरा मूर्तिकला के इतिहास में गुप्तकाल की मूर्तियों का एक विशेष स्थान है। गुप्त शासकों द्वारा मथुरा नगर में किया गया मूर्ति कला का कार्य-तकनीकी व प्रयुक्त सामग्री के लिए भी विशिष्ट है। मथुरा में मूर्तियों के लिए आस-पास की खदानों से निकलने वाले लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग हुआ है। गुप्तकाल में बुद्ध, विष्णु, शिव व जैन की प्रतिमाओं में अनेक प्रयोग भी किए गए हैं। जिसमें से कुछ प्रमुख मुद्राएं हैं -अभय मुद्रा, ध्यान मुद्रा, व भूमिस्पर्श मुद्रा। इन मुद्राओं का अपना एक विशेष प्रयोजन था कि किस मुद्रा का क्या अर्थ है । गुप्त काल में प्रतिमाओं के वस्त्रों में भी नए प्रयोग हुए जिसमें मथुरा क्षेत्र में झीने व हल्के वस्त्रों का प्रयोग शामिल है। गुप्तकाल में बौद्ध, जैन व हिन्दू प्रतिमाओं का उत्कृष्ठ कार्य करा गया ।
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